۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
क़ज़ा नमाज़

हौज़ा /  ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने नमाज़ की हालत मे दूसरो को कुछ समझाने के संबंध मे पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने नमाज़ की हालत मे दूसरो को कुछ समझाने के संबंध मे पूछे गए सवाल का जवाब दिया है। जो लोग शरई अहकाम मे दिल चिस्पी रखते है हम उनके लिए पूछे गए सवाल और उसके जवाब का पाठ प्रस्तुत कर रहे है।

प्रश्नः नमाज़ की हालत मे दूसरे को कोई बात समझाने की नियत से कोई ज़िक्र करे तो उसकी नमाज़ का क्या हुक्म है?

उत्तरः अगर ज़िक्र की नियत से कोई शब्द अदा करे जैसे (अल्लाहो अकबर) कहे और कहते वक्त आवाज़ ऊंची कर ले ताकि दूसरे को कोई बात समझाए तो इसमे कोई इश्काल नही है। लेकिन किसी दूसरे को कोई बात समझाने की नियत से कोई ज़िक्र पढ़े, अगर चे ज़िक्र की नियत भी रखता हो तो नमाज बातिल हो जाएगी।

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